Hello my friends we will learn that how to write essay on Jesus Christ In Hindi Language.
निबंध: ईसा मसीह (300 शब्द)
परिचय: ईसा मसीह ईसाई धर्म के संस्थापक थे। इन्हें ईश्वर का पुत्र भी कहा जाता है। ईसा मसीह को यीशु और जीसस क्राइस्ट के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है उद्धार कर्ता। ईसा मसीह सत्य और अहिंसा के प्रतिक माने जाते हैं। इन्होंने मानवता की भलाई के लिए कई कार्य किये और अपने जीवन का बलिदान भी दिया है।
Isa Masih |
जन्म व स्थान: ईसा मसीह का जन्म 4 ईसा पूर्व 25 दिसम्बर को एक यहूदी परिवार में बैथलेहेम में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम और पिता का नाम जोसेफ था। ईसा मसीह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि एवं जिज्ञासु थे।
धर्म-प्रचार: इसाई धर्म की स्थापना और प्रचार-प्रसार ईसा मसीह नें किया था। इन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना के लिए 30 वर्ष की आयु में ही घर त्याग दिया था। वे जगह-जगह घूमकर लोगों को उनके कल्याण के लिए उपदेश दिया करते थे। उन्होंने मानवजाति के कल्याण के लिए अनेकों दु:ख सहे किन्तु सत्य का मार्ग और लोगों को उपदेश देनें का परित्याग कभी नहीं किया।
निधन: ईसा मसीह का 33-36 वर्ष की आयु के बीच में ही बहूत दुखद निधन हुआ। ईसा मसीह पर उनके विरोधियों द्वारा अनेकों गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन ईसा मसीह अपनें सत्य वचनों में डटे रहे और लोगों को उपदेश देते रहे। ईसा मसीह के विरोधियों नें उनके विरुद्ध एक षड्यंत्र रचा और उन्हें सूली पर चढ़ानें का निर्णय लिया। सूली पर चढ़ानें के लिए उनके विरोधियों नें उनके कपड़े उतार दिए और उनके सिर पर कांटे का मुकुट पहनाया। उनके हाथ-पाँव में कीलें ठोककर उन्हें क्रूस(सूली) पर लटका दिया गया था। ऐसा कहा जाता है कि मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप स्वयं पर ले लिया था। ईसा मसीह के निधन के बाद उनके शिष्यों ने प्रेम, भाईचारा, क्षमा, अहिंसा और सहिष्णुता का संदेश विश्व के कोनें-कोनें में फैलाया।
Facebook: Silent Course
YouTube: Silent Course
No comments:
Post a Comment