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Saturday, January 14, 2023

बाल गंगाधर तिलक पर निबंध - Essay on Bal Gangadhar Tilak In Hindi

Hello my students, we will write Essay on Bal Gangadhar Tilak In Hindi - Hindi Essay on Lokmanya Tilak. बाल गंगाधर तिलक पर निबंध। 

बाल गंगाधर तिलक (500 शब्द)

परिचय: बाल गंगाधर तिलक जी एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, वकील, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे। उन्हें लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। उनका वास्तविक नाम केशव गंगाधर तिलक था। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता थे। ब्रिटिश उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे।
Picture: Bal Gangadgar Tilak
जन्म स्थान एवं माता-पिता: बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र में स्थित रत्नागिरी जिले के “चिखली” नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाधर तिलक और माता का नाम पार्वती बाई गंगाधर था।

शिक्षा एवं शिक्षण: बाल गंगाधर तिलक जी आधुनिक कालेज में शिक्षा पाने वाले पहली भारतीय पीढ़ी में से एक थे। अपनी कॉलेज की शिक्षा के बाद, उन्होंने कुछ समय के लिए स्कूलों और कॉलेजों में गणित पढ़ाया था। वे अंग्रेजी शिक्षा के घोर आलोचक थे, क्योंकि उनका मानना था कि “अंग्रेजी” भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर करना सिखाती है।

राजनीतिक यात्रा: बाल गंगाधर तिलक जी ब्रिटिश शासन राज के दौरान मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे। बाल गंगाधर तिलक जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से 1890 में जुड़े थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष और वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै शामिल थे। बाल गंगाधर तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल तो हुए, लेकिन जल्द ही वे कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे थे। 1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी थी। गरम दल में लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे और इन तीनों महापुरुषों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा था।

पत्रकारिता: बाल गंगाधर तिलक जी ने अंग्रेजी मे मराठा और मराठी में केसरी नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किये, जो जनता के बीच बहुत लोकप्रिय हुए थे। वे समाचार पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार की नीतियाँ, अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना करते थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज देने की मांग कर दी थी। उनके लेखों के कारण उनपर राजद्रोह का मुकदमा चलाकर उन्हें 6 वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत माण्डले (बर्मा) जेल में बन्द कर दिया गया था।

स्वतंत्रता आन्दोलन: बाल गंगाधर तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे। वे भारतियों को अंग्रेजों के कुशासन से स्वतंत्र कराना चाहते थे। उन्होंने समाचार पत्र के माध्यम से ब्रिटिश सरकार की नीतियों की बहूत आलोचना की थी। ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

नारा: बाल गंगाधर तिलक जी का नारा था “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहुँगा”। यह नारा उस समय बहुत प्रसिद्ध हुआ क्योंकि इस नारे ने भारतीयों के मन में भारत की स्वतंत्रता के लिए उत्साह पैदा कर दिया था।

पुस्तके: बाल गंगाधर तिलक जी ने अनेक पुस्तकें लिखीं थी और उनमें से कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों के नाम हैं: द ओरिओन, द आर्कटिक होम इन द वेदाज, श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य, द हिन्दू फिलोसफी ऑफ़ लाइफ, एथिक एंड रिलिजन, वैदिक क्रोनोलॉजी एंड वेदांग ज्योतिष आदि।

निधन: बाल गंगाधर तिलक जी का निधन 1 अगस्त 1920 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ था।
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