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Tuesday, November 29, 2022

तात्या टोपे पर निबंध - Essay on Tatya Tope In Hindi - Tatya Tope Par Nibandh

Hello everyone we will learn that how to write Essay on Tatya Tope In Hindi Language. तात्या टोपे पर निबंध कैसे लिखें।

तात्या टोपे (350 शब्द)

परिचय: तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। वे एक बहूत ही बहादुर, बुद्धिमानी और शौर्यवीर योद्धा/व्यक्ति थे। उन्हें “महाराष्ट्र का बाघ” के नाम से भी जाना जाता है। उनका वास्तविक नाम रामचंद्र पाण्डुरंग राव यवलकर था।
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चित्र: तात्या टोपे (Tatya Tope)
जन्म-स्थान एवं माता-पिता: तात्या टोपे का जन्म 16 फरवरी 1814 में महाराष्ट्र भारत में हुआ था। उनके पिता का नाम पाण्डुरंग राव भट्ट़ था और उनकी माता का नाम रुखमाबाई था। तात्या टोपे अपने आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।

तात्या टोपे नाम कैसे पड़ा: तात्या टोपे उनका वास्तविक नाम नहीं था अपितु उनका वास्तविक नाम रामचंद्र पाण्डुरंग राव यवलकर था। “तात्या टोपे” नाम होने के पीछे एक कहानी है, कहा जाता है कि बाजीराव ने तात्या को एक बेशकीमती और नायाब टोपी दी थी। वे उस टोपी को हमेशा पहनते थे। हमेशा टोपी पहनने के कारण लोग उन्हें तात्या टोपे के नाम से पुकारने लगे। इस तरह से उनका नाम तात्या टोपे पड़ा।

कौशल: तात्या टोपे एक वीर पुरुष थे। वे युद्ध की कला में प्रवीण व् माहिर थे। वे सभी तरह के अस्त्र-शस्त्र चलानें में पूरी तरह से निपुण थे।

1857 के विद्रोह में भूमिका: सन 1857 के महान विद्रोह में तात्या टोपे की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रेरणादायक थी। 1857 के विद्रोह में तात्या टोपे सेनपति नियुक्त किये गए थे। झाँसी की लड़ाई की कमान तात्या टोपे के हाथ में दी गई थी। तात्या टोपे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर अंग्रेजों से कई लड़ाईयां लड़ी और उन्होंने अपनें युद्ध निति से अंग्रजों को लड़ाई में कई बार परास्त भी किया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा व् मृत्यु हो जाने के बाद भी तात्या टोपे विद्रोहियों की कमान संभाले रहे और अंग्रेजों से लड़ते रहे थे।

निधन/मृत्यु: तात्या की मृत्यु को लेकर तीन बातें/कहानी कही जाती हैं। पहली कहानी: अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें 18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी (मध्यप्रदेश) में फाँसी दे दी गई। दूसरी कहानी: अंग्रेजों ने किसी दूसरे व्यक्ति को तात्या समझकर पकड़ लिया और उसको फांसी दे दी। तीसरी कहानी: उन्होंने अपनी अंतिम सांस साल 1909 में ली और उनके परिवार ने विधिवत तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया था।
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