Hello my friends we will learn that how to write Essay on Rani Lakshmi Bai - Jhansi Ki Rani In Hindi (रानी लक्ष्मीबाई - झाँसी की रानी पर निबंध)
निबंध - रानी लक्ष्मीबाई - झाँसी की रानी (400 शब्द)
परिचय: रानी लक्ष्मीबाई एक भारतीय विरांगना थी। वह मराठा शासित राज्य की रानी थी। रानी लक्ष्मीबाई को झाँसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है। रानी लक्ष्मीबाई नें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंगेजों से लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम मनुबाई था।
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Picture: Rani Lakshmi Bai (Jhansi Ki Rani) |
जन्म-स्थान एवं माता-पिता: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथीबाई था। रानी लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु नाम से पुकारते थे।
परवरिश एवं शिक्षा : रानी लक्ष्मीबाई की माँ की मृत्यु के बाद, रानी लक्ष्मीबाई के पिता उन्हें पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले गए। उन्होंने अपना सारा बचपन पेशवा बाजीराव के छत के नीचे बिताया। पेशवा बाजीराव के दरबार में लक्ष्मीबाई को “छबीली" कहकर पुकारते थे। लक्ष्मीबाई ने बचपन से ही शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी लेना शुरू कर दिया था। वह तलवार, भाला, बन्दुक और अन्य तरह की शस्त्र चलाने में पूरी तरह से निपुण थी।
वैवाहिक जीवन: लक्ष्मीबाई का विवाह सन् 1842 में झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ। शादी होने के साथ ही वह झाँसी की रानी बनी, इसलिए उन्हें झाँसी की रानी के नाम से जाना जाता है। विवाह के बाद ही उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया था। विवाह के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसकी मृत्यु चार महीनें की उम्र में ही हो गई थी। पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने एक पुत्र गोद लिया, जिसका नाम दामोदर राव रखा गया। कुछ समय बाद महाराज गंगाधर राव बीमार रहनें के कारण उनका निधन हो गया।
अंग्रेजों का आक्रमण: राजा गंगाधर राव के निधन के बाद अंग्रेज झाँसी पर शासन करना चाहते थे, क्योंकि अंग्रेज नहीं चाहते थे कि उनका दत्तक पुत्र झाँसी के सिंहासन का कानूनी वारिस बने। अंग्रेजों के विद्रोह के बाद भी रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और झाँसी राज्य की रक्षा करने का दृढ निश्चय किया।
1857 का स्वतंत्रता संग्राम: भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 को शुरू हुआ था। अंग्रेजों ने झाँसी पर कब्जा करनें के लिए आक्रमण कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा के लिए एक स्वयंसेवक सेना का गठन किया, जिसमे महिलाओं को भी शामिल किया गया था। रानी लक्ष्मीबाई ने स्वयं सभी को युद्ध प्रशिक्षण दिया, उसके बाद रानी लक्ष्मीबाई नें अपने सैनिकों के साथ अंगेजों पर पुरजोर आक्रमण कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया था।
निधन: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लड़ते हुए 18 जून 1858 को वीरगति को प्राप्त हो गई थी और देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई।
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