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Tuesday, November 22, 2022

निबंध - लाचित बरफूकन - Essay on Lachit Borphukan In Hindi - 350 Words

Hello my friends we will learn that how to write Essay on Lachit Borphukan In Hindi (350 Words)

निबंध - लाचित बोरफूकन

परिचय: लाचित बोरफूकन को महान योद्धाओं में से एक गिना/माना जाता है। वह महत्वाकांक्षी कूटनीतिज्ञ और राजनेता भी थे। वे आहोम साम्राज्य के एक सेनापति और बोरफूकन थे, जिन्होनें अपनी देशभक्ति से आहोम साम्राज्य को गौरवान्वित किया था। वे सराईघाट की लड़ाई में अपनी नेतृत्व-क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
Picture: Lachit Borphukan
जन्म-स्थान एवं माता पिता: लाचित बोरफूकन का जन्म 24 नवम्बर 1622 को चराइडो, असम में अहोम साम्राज्य हुआ था। उनके पिता का नाम मोमाई तमुली बोरबरुआ था। उनके पिता राजा प्रताप सिंह के प्रशासन में वरिष्ठ अधिकारी या कमांडर-इन-चीफ थे। उनकी माता का नाम कुन्दी मरान था। लाचित बोरफूकन अपने माता-पिता के सबसे छोटे बेटे थे। उनका धर्म फुरेलुंग अहोम था।

शिक्षा: लाचित बोरफूकन ने मानविकी, शास्त्र और सैन्य कौशल की शिक्षा भी ग्रहण की थी।

कौशल: लाचित बोरफूकन एक अच्छे कूटनीतिज्ञ और राजनेता थे। वह अस्त्र-शस्त्र चलाने और घुड़सवारी में पूरी तरह से निपुण थे।

नियुक्ति व् पद: मानविकी और सैन्य रणनीतियों में शिक्षा ग्रहण करने के बाद, उन्हें अहोम स्वर्गदेव के ध्वज वाहक का पद और निज-सहायक का पद सौंपा गया था। पद मिलने से पहले वे अहोम राजा चक्रध्वज सिंह की शाही घुड़साल के अधीक्षक, रणनैतिक रूप से सिमुलगढ़ किले के प्रमुख और शाही घुड़सवार रक्षक दल के अधीक्षक के पदों पर भी आसीन रहे थे।

मुगलों से संघर्ष एवं युद्ध: लाचित बोरफूकन का पूरा जीवन मुगलों से संघर्ष करते हुए बिता था। उन्होंने मुगलों के खिलाफ जमकर लड़ाई लड़ी और कई युद्ध मुगलों के खिलाफ भी जीते ।

सराईघाट की लड़ाई: लाचित बोरफुकन को मुगलों के खिलाफ अभियान में सेना का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। सन 1671 में हुई सराईघाट की लड़ाई/युद्ध में मुगलों ने सराईघाट में नदी से आक्रमण किया। दोनों में भीषण युद्ध हुआ, लेकिन लाचित बोरफुकन के अच्छे नेतृत्व-क्षमता के कारण वह सराईघाट की लड़ाई में विजयी हुए और मुग़लों के कब्ज़े से गुवाहाटी पुनः प्राप्त करने में भी सफल रहे।

निधन: सराईघाट की विजय के लगभग एक वर्ष बाद 25 अप्रैल 1672 को बीमारी के कारण लाचित बोरफुकन मृत्यु हो गई। उनकी वीरता और सरायघाट की लड़ाई में असमिया सेना की जीत की याद में पूरे असम राज्य में हर साल 24 नवंबर को लाचित दिवस मनाया जाता है।
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