Hello, In this essay we will learn that how to write Essay on Gautam Buddha In Hindi Language.
निबंध - गौतम बुद्ध (650 शब्दों में)
परिचय:
गौतम बुद्ध एक महान व्यक्ति थे, जिन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है। गौतम बुद्ध को भगवान बुद्ध या महात्मा बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इनका वास्तविक/बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था। इन्होनें पूरे विश्व को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाया। गौतम बुद्ध नें ही बौद्ध धर्म की नींव रखी थी और इनकी शिक्षाओं पर ही बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।
Pic: Gautam Buddha |
जन्म स्थान एवं माता-पिता का परिचय :-
महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुम्बनी में इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। इनकी माता का नाम महामाया था। महात्मा बुद्ध के जन्म के 7 दिन बाद ही इनकी माता की निधन हो गया था। इनके माता के देहांत के बाद गौतम बुद्ध का लालन-पालन इनकी मौसी महाप्रजापती गौतमी ने किया था, जो कि गौतम बुद्ध की माँ की छोटी सगी बहन थी। इनके जन्म समारोह के दौरान, साधु द्रष्टा आसित नें घोषणा किया कि यह बच्चा एक महान राजा बनेगा या एक महान पवित्र पथ प्रदर्शक बनेगा।
शिक्षा :-
गौतम बुद्ध राजा के पुत्र थे, उनके पास ऐसो-आराम की सारी व्यवस्था थी। महात्मा गौतम बुद्ध बचपन से ही बाकी सभी बच्चों से सबसे अलग थे। इन्होनें गुरु विश्वामित्र के पास जाकर वेद-उपनिषद् को पढ़ा और उसे अपने जीवन में अपनाया भी। इन सारी विद्याओं के साथ राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली जैसे : कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हाँकना इत्यादि। गौतम बुद्ध बचपन से ही करुणामयी और दयालु थे।
विवाह एवं घर का त्याग :-
महात्मा गौतम बुद्ध की 16 वर्ष की आयु में ही “यशोधरा” नामक कन्या विवाह हो गया था। विवाहोपरांत उनका एक पुत्र हुआ जिनका नाम “राहुल” रखा गया। विवाह और पुत्र प्राप्ति के बाद भी उनका मन दुखी लोगों को देखकर हमेशा उदास रहता था। अंत में 29 वर्ष की आयु में एक अंधेरी रात अपनी पत्नी, बेटे तथा राजकीय वैभव को छोड़कर गौतम बुद्ध ने अपना घर त्याग दिया और ज्ञान की खोज में जंगल निकल पड़े।
ज्ञान की प्राप्ति :-
महात्मा गौतम बुद्ध नें अपने मन की शांति के लिए घर के ऐसों-आराम को त्यागकर जंगल में कठोर तपस्या करने लगे। ज्ञान प्राप्त करने के लिए वे जगह-जगह भटकते रहे फिर भी इनके ह्रदय को शांति नहीं मिली। अंत में वे गया में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान की अवस्था में लीन हो गये। कठिन तपस्या के बाद उनको अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई। उनके इस ज्ञान प्राप्ति के बाद से वे सिद्धार्थ गौतम से “भगवान बुद्ध” बन गए। गया को “बोधगया” और वृक्ष को “बोधि वृक्ष” कहा जाने लगा।
बौध धर्म का प्रचार :-
बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के बाद वे वाराणसी के पास सारनाथ में अपने पहले उपदेश का प्रचार किया। जिसमें उन्होंने पाँच साधुओं को उपदेश दिया। उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्र को धार्मिक उपदेश दिए। महात्मा बुद्ध ने काशी, कोसल, मगध, वज्जि प्रदेश आदि में बौद्ध धर्म की शिक्षाओं का प्रचार किया। महात्मा बुद्ध ने मानव समाज को अहिंसा, शांति, दया, प्रेम, सहानुभूति, कर्तव्य निष्ठा जैसी भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया और उनकी इन शिक्षाओं का मानव जाति पर बहूत गहरा प्रभाव पड़ा। गौतम बुद्ध के इन्ही शिक्षाओं के कारण ही बौद्ध धर्म की स्थापना हुई।
मृत्यु व् निधन :-
प्रचलित कथाओं के अनुसार भगवान गौतम बुद्ध की मृत्यु/निधन एक व्यक्ति द्वारा परोसे गए विषाक्त भोजन खाने की वजह से हुई थी। विषाक्त युक्त भोजन करने से उनका स्वास्थ्य प्रतिदिन/निरंतर गिरता गया और उनका निधन हो गया। गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पूर्व या 400 ई. पूर्व में भारत के कुशीनगर में हुई थी। उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी।
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