इस पेज में हम लिखनें वाले हैं सरोजिनी नायडू जी पर निबंध।
निबन्ध : सरोजिनी नायडू(400 शब्द)
परिचय : सरोजिनी नायडू एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कवियत्री और लेखिका थीं। इन्हें भारत की कोकिला/बुलबुल के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने साहित्य और काव्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सरोजिनी नायडू जी नारीवाद को प्रेरित करने वाली जानी जाती हैं। वह सभी के लिए समानता और न्याय में विश्वास करती थीं। इनके जन्मदिवस को प्रत्येक साल भारत में ‘राष्ट्रीय महिला दिवस’ के रुप में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Sarojini Naidu |
जन्म-स्थान एवं माता-पिता : सरोजिनी नायडू जी का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था, जो एक शिक्षक थे और इनकी माता का नाम वरदा सुंदरी देवी था, जो एक बंगाली कवयित्री थीं।
शिक्षा : सरोजिनी नायडू बचपन से पढ़ाई में अव्वल/तेज थीं। जब वह सिर्फ बारह साल की थी तब उन्होंने 1891 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। 1895 में सरोजिनी नायडू उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चली गईं। वहाँ उन्होंने सबसे पहले लंदन के किंग्स कॉलेज में पढ़ाई की और उसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज के गिर्टन कॉलेज से पढ़ाई की।
वैवाहिक जीवन : 1898 में भारत लौटकर उन्होंने उसी वर्ष मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडु से शादी कर ली। शादी के पश्चात इनके तीन बेटे और दो बेटी थी।
साहित्य/कविता क्षेत्र में योगदान : सरोजिनी नायडू जी ने साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनको बचपन से ही कविताएँ लिखने का शौक था। सरोजिनी नायडू जी बच्चों के लिये भी बहुत कविताएँ लिखती थीं। 1912 में प्रकाशित “द बर्ड ऑफ टाइम”, “इन द बाज़ार्स ऑफ़ हैदराबाद” और 1917 में प्रकाशित “द ब्रोकेन विंग” काव्य रचना काफी लोकप्रिय हुए थे।
स्वतंत्रता संग्राम : सरोजिनी नायडू एक महान स्वतंत्रता सेनानी थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वह रवींद्रनाथ टैगोर, गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी से मिली। गांधीजी के विचार नें उन्हें बहूत प्रभावित किया और उनके विचारों से प्रभावित होकर वह देश के लिए समर्पित हो गयीं। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण नेता की भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सरोजिनी नायडू जी कविता लिखकर और जोशीला भाषण देकर लोगों के मन में देशभक्ति की भावना को जागृत किया था।
देहांत/मृत्यु : सरोजिनी नायडू जी का निधन 2 मार्च, 1949 में 70 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। सरोजिनी नायडू जी का नाम भारत के इतिहास में सदैव याद रखा जाएगा।
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