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Monday, January 10, 2022

मकर संक्रांति पर निबंध - Essay on Makar Sankranti In Hindi

हेलो दोस्तों इसमें हम लिखने वाले हैं मकर संक्रांति पर निबंध | In This article we will see "Essay on Makar Sankranti In Hindi.

निबंध : मकर संक्रांति (450 शब्द)

परिचय: मकर संक्रांति भारत देश का प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष (पौष मास) 14 जनवरी को बहूत धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति का पर्व तब मनाया जाता है, जब सूर्य पौष मास में मकर राशि पर आता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। यह पर्व शीत ऋतू के दौरान पड़ता है।
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मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है: यह मकर संक्रांति का पर्व भगवान सूर्य के लिए की जाती है, इसलिए इस दिन सभी सुबह-सुबह स्नान करते हैं। एक थाली में 3-4 तिलकुट, चावल, मिठाई, अगरबत्ती और कुछ पैसे रखे जाते हैं। इन सभी सामग्री से भगवान् सूर्य की पूजा व आरती की जाती है। इसके पश्चात् गुड़, तिल, कम्बल, फल, पैसे आदि का दान भी किया जाता है। पूजा होने के बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर तिलकुट, लड्डू, दही चूड़ा खाने का आनंद लेते हैं। इस दिन कई स्थानों पर पतंग भी उड़ाई जाती है। यह दिन किसानों के लिए बहूत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन किसानों के द्वारा नई फसल भी काटी जाती है।

मान्यातएं और कथाएं:
पहली मान्यता एवं कथा: ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ही भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरुओं के बीच हो रहे हजारों साल से युद्ध को समाप्त कर दिया था। इसलिए यह दिन बुराई का अंत और सच्चाई के युग की शुरुआत का महोत्सव माना जाता है।

दूसरी मान्यता एवं कथा: ऐसा माना जाता है कि इस दिन ही अर्थात मकर संक्रान्ति के दिन ही (गंगा मईया) गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिल जाती है।

तीसरी मान्यता एवं कथा: ऐसा भी माना जाता है कि भीष्म पितामाह जी को अपने पिता से एक वरदान मिला था कि जब वह अपने प्राण त्यागना चाहेंगे, तभी वह अपने प्राण त्याग पाएंगे अर्थात उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। प्राप्त वरदान के अनुसार इस दिन ही भीष्म पितामह नें नश्वर रूप को त्यागने का निर्णय लिया था। इस तरह उन्हें इस दिन ही मोक्ष की प्राप्ति हुई। इसलिए इस दिन को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।

चौथी मान्यता एवं कथा: ऐसा माना जाता है कि इस दिन ही भगवान् सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं, क्योंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं। मकर संक्रान्ति के दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाता है, तो पिता एवं पुत्र के संघर्ष व मतभेद हल हो जाते हैं। पिता पुत्र में सम्बन्ध भी अच्छे हो जाते हैं। इसलिए इस पर्व को ज्यादा महत्व दिया जाता है।

निष्कर्ष: मकर संक्रांति एक पवित्र त्यौहार है। मकर सक्रांति का त्यौहार पारिवारिक मतभदों को दूर करता है। यह त्यौहार लोगों की जिन्दगी में खुशियाँ ही खुशियाँ लाता है।
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