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Tuesday, January 25, 2022

निबंध : लाला लाजपत राय - Essay on Lala Lajpat Rai In Hindi

हेल्लो दोस्तों इसमें हम लिखने वाले हैं लाला लाजपत राय जी पर आसान निबंध।

निबंध : लाला लाजपत राय (500 शब्द)

परिचय : लाला लाजपत राय भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। लाला लाजपत राय जी को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने देश की स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लाला लाजपत राय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेता के रूप में जाने जाते थे। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं “लाल-बाल-पाल” में से एक थे।
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Pic - Lala Lajpat Rai
जन्म स्थान एवं माता-पिता : लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब, फिरोजाबाद जिले के धुडिके ग्राम में एक जैन परिवार में हुआ था। इनके पिता राधा कृष्ण एक सरकारी स्कूल में उर्दू और फारसी भाषा के शिक्षक थे और माता गुलाब देवी एक कुशल गृहिणी थीं।

शिक्षा : लाला लाजपत राय एक मेघावी छात्र थे। उन्होंनें अपनी प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, रेवाड़ी, पंजाब प्रांत में की थी। उसी स्कूल में इनके पिता भी शिक्षक भी थे। 1880 में कानून की शिक्षा ग्रहण करनें के लिए लाहौर के गवर्नमेंट/सरकारी कॉलेज में प्रवेश लिया और कानून की शिक्षा ग्रहण की।

सामाजिक योगदान: लाला लाजपत राय एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। इन्होनें पंजाब में स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को लोकप्रिय बनाया। इन्होनें लाला हंसराज एवं कल्याण चन्द्र दीक्षित के साथ मिलकर दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रचार-प्रसार किया, जिन्हें आज डीएवी स्कूल्स व कालेज के नाम से जाना जाता है। वह हमेशा समाज सेवा के लिए तैयार रहते थे।

स्वतंत्रता आन्दोलन : लाला लाजपत राय बहुत कम उम्र में ही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्रपाल की इस त्रिमूर्ति को “लाल-बाल-पाल” के नाम से जाना जाता था। इन्हीं तीनों नेताओं नें ही सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग की थी और बाद में पूरा भारत देश देश इनके साथ हो गया था। वे हमेशा अंग्रेजी सरकार का विरोध करते थे। हमेशा विरोध करनें के कारण अंग्रेजों ने सन् 1907 ई॰ में लाला लाजपत राय जी को बर्मा की जेल में डाल दिया था। 1920 में पंजाब में आयोजित असहयोग आंदोलन’ का नेतृत्व किया था, जिसके कारण उन्हें जेल भेज दिया गया था।

साइमन गो बैक : 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध एक विशाल आन्दोलन किया गया। साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय खुद इस विशाल रैली का नेतृत्व कर रहे थे। इस विशाल रैली के दौरान उनपर लाठी-चार्ज किया गया, जिसमें वे बुरी तरह से घायल हो गये थे। उस घायल अवस्था में उन्होंने कहा था – “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी”।

देहांत/मृत्यु : साइमन कमीशन गो बेक रैली में लाला लाजपत राय जी पर लाठी चार्ज होने से उन्हें गंभीर चोटें आई थी, जिसके कारण 17 नवम्बर 1928 को इन्हीं चोटों की वजह से इनका देहान्त हो गया। उनके इस बलिदान के लिए पूरा भारत देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।

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