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Friday, August 14, 2020

निबंध - गणेश चतुर्थी - Essay on Ganesh Chaturthi In Hindi

Hello दोस्तों इसमें हम लिखने वाले है गणेश चतुर्थी पर निबंध - Essay on Ganesh Chaturthi In Hindi. 

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार पुरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के लोग गणेश जी को अपना इष्ट देवता मानते है, जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है तब सबसे पहले भगवान् गणेश की ही पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार भाद्रपद माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान् गणेश का जन्म हुआ था। यह त्यौहार 11 दिनों तक चलने वाला सबसे लंबा त्यौहार है। गणेश जी का दूसरा नाम विघ्नहर्ता भी है, क्योंकि यह सब के विघ्न/दुःख हर लेते है और घर में खुशियाँ लाते है।
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Ganesh Pic
गणेश उत्सव मानने के पीछे एक अत्यंत ही लोकप्रिय कथा है :- 
एक बार सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे कहा की प्रथम पूज्य किसे माना जाय अथार्त सबसे पहले किस देवता की पूजा की जाएगी, तब शिव जी ने कहा कि संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा जो सबसे पहले कर लेगा। उसे ही प्रथम पूज्य माना जाएगा और उसी की पूजा सबसे पहले की जाएगी। यह सुनते ही सभी देवता अपने-अपने वाहन से पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। लेकिन गणेश जी का वाहन एक चूहा था और गणेश जी का शरीर स्थूल था, तो ऐसे में गणेश जी कैसे पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर पाते। तब गणेश जी ने अपनी चतुराई दिखाते हुए अपने पिता भगवान् शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए।

भगवान् शिव गणेश जी की चतुराई और अपने माता-पिता के प्रति आदर व आस्था को देखते हुए गणेश जी से कहा की तुमसे ज्यादा बुद्धिमान इस पुरे संसार में नहीं हैं। माता और पिता की तीन परिक्रमा करने से तुमने तीनो लोको की परिक्रमा पूरी कर ली है, जिसका पुन्य तुम्हें मिल गया है। इसलिए आज से जो भी मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले तुम्हारा पूजन/पूजा करेगा, उसे किसी भी प्रकार की कठनाईयो का सामना नहीं करना पड़ेगा।

शिव जी के इस कथन के बाद से ही गणेश जी की पूजा सभी देवी - देवताओ से पहले किया जाने लगा। इसलिए गणेश चतुर्थी में गणेश भगवान की पूजा की जाती है और 10 दिन इनकी पूजा करने के बाद 11वें दिन गणेश जी का विसर्जन के साथ इनको विदा कर दिया जाता है और अगले साल गणेश जी की जल्दी आने की कामना की जाती है।

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