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Thursday, July 30, 2020

निबंध : यदि मैं अपने स्कूल का प्रधानाध्यापक होता - If I Were The Principal of My School Essay In Hindi

Hello Friends हम लिखने वाले हैं  निबंध  : यदि मैं अपने स्कूल का प्रधानाध्यापक होता - If I Were The Principal of My School Essay In Hindi. (350 Words)

Essay On If I Were The Principal of My School
निबंध: यदि मैं अपने स्कूल का प्रधानाध्यापक होता

प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यपिका की नियुक्ति बहुत महत्वपूर्ण और जिम्मेदार नियुक्ति होती है। किसी भी विद्यालय की प्रगति उस विद्यालय के प्रिंसिपल पर निर्भर करती है। इसलिए अगर मैं स्कूल का प्रिंसिपल होता, तो मैं विद्यालय के लिए बहुत से नए काम करता। जैसे: मेरे विद्यालय में अनुशासन को विशेष महत्व दिया जायेगा, क्योंकि विद्यार्थियों के अनुशासन पर ही स्कूल की प्रतिष्ठा निर्भर करती है। विद्यार्थियों को अपने स्कूल यूनिफार्म (पोशाक) में ही विद्यालय आने की अनुमति दी जायेगी। छात्रों और शिक्षकों को नियमित और समयनिष्ठ होने के लिए कहा जायेगा। मैं हमेशा स्कूल के शिक्षकों पर ध्यान दूँगा कि वह छात्रों को सही तरीके से पढ़ा रहें है या नहीं। छात्रों और शिक्षकों को उनके कर्तव्य और एक दूसरे के प्रति वफादारी सिखाई जाएगी। मैं स्कूल की साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखूँगा।

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उज्ज्वल छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। विद्यालय की तरफ से गरीब बच्चों के लिए किताबें और कपड़े प्रदान किये जायेंगे, ताकि वे अपनी पढ़ाई अच्छी तरह से कर सकें। यदि कोई विद्यार्थी आवेदन करता/करती है कि वह अपनी कक्षा की फीस आगे नहीं दे पाएगा/पाएगी, परन्तु वह एक मेघावी विद्यार्थी है, तो उस स्थिति में उस विद्यार्थी की पूरी फीस माफ कर दी जाएगी।

मैं अपने विद्यालय के पुस्तकालय में भी सुधार करूँगा। पुस्तकालय में सभी लेखकों की उत्तम पुस्तके रखवाऊंगा, जिसे पढ़कर विद्यार्थी अच्छी बातें सीख सकेंगे। पुस्तकालय में ऐसी पुस्तकें होंगी, जिसे पढ़ने से विद्यार्थीयों के मस्तिष्क का विकास होगा और उनमें पुस्तक पढ़नें की आदत पैदा होगी।

विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी छात्रों के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। मैं अपने विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे : नृत्य, नाटक, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि को भी बढ़ावा दूंगा, जिससे उनका मस्तिस्क का विकास हो और उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके। मैं किसी छात्र को न हीं मारूंगा और न ही डाटूंगा। अगर वह कुछ गलत कर रहा/रही है या पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहा/रही है, तो मैं उसे शिक्षा के महत्व के बारे में अच्छे से समझाऊंगा, ताकि वह दोबारा ऐसी गलती न करे और पढ़ाई में मन लगाये। मैं विद्यार्थीयों को उनके अच्छे चरित्र निर्माण करने में उनकी मदद करूँगा और मैं अपने विद्यालय के विद्यार्थीयों को देश का सबसे अच्छा नागरिक बनाऊंगा।

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