निबंध : सुखदेव
सुखदेव एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना के नौघरा महोल्ला में हुआ था। उनका पूरा नाम सुखदेव थापर है। वह उन महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनके पिता का नाम रामलाल थापर और माता का नाम रल्ली देवी था। सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के सदस्य थे। उन्होंने पंजाब और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में क्रांतिकारी संगठन का आयोजन किया था। वे एचएसआरए (HSRA) की पंजाब इकाई के प्रमुख थे और फैसले लेने में सहायक थे।
Sukhdev Thapar |
सुखदेव ने उन क्रूर अत्याचारों को देखा था, जो शाही ब्रिटिश राज ने भारत पर किये थे। इन अत्याचारों को देखकर सुखदेव क्रन्तिकारी संगठन में शामिल हो गए। भारत को ब्रिटिश प्रभुत्व के बंधनों से मुक्त करने की उन्होंने कसम खाई थी। सुखदेव अपने साथी भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ 1928 में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट साण्डर्स की हत्या करने के आरोप में उनको गिरफ़्तार किया, उन्होंने साण्डर्स की हत्या कर लालाजी की मृत्यु का बदला लिया था। 8 अप्रैल 1929 को नई दिल्ली में सेंट्रल असेंबली हॉल बम विस्फोटों के बाद सुखदेव और उनके सहयोगियों को उनके अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया और फैसले के रूप में मौत की सजा सुनाई गई। सुखदेव ने 1929 में जेल में “भूख हड़ताल” जैसी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया, जिसने ब्रिटिश सरकार की नींव को हिला दिया था।
23 मार्च 1931 को तीन बहादुर क्रन्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी और सतलज नदी के किनारे उनके शवों को अंग्रेजों ने गुप्त रूप से जलाया था। हालांकि सजा सभी फांसी के मानदंडों के खिलाफ थी। सुखदेव सिर्फ 23 साल के थे जब वह अपने देश के लिए शहीद हो गए।
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